व्यंजन संधि के 13 नियम होते हैं 


नियम 1:

जब किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मिलन किसी वर्ग के तीसरे या चौथे वर्ण से या (य्, र्, ल्, व्, ह) से या किसी स्वर से हो जाये तो क् को ग् , च् को ज् , ट् को ड् , त् को द् , और प् को ब् में बदल दिया जाता है।

उदाहरण :

क् का ग् में परिवर्तन

  • दिक् + अम्बर : दिगम्बर
  • दिक् + गज : दिग्गज

ट् का ड् में परिवर्तन :

  • षट् + यन्त्र : षड्यन्त्र
  • षड्दर्शन : षट् + दर्शन

त् का द् में परिवर्तन :

  • तत् + अनन्तर : तदनन्तर
  • उत् + घाटन : उद्घाटन

प् का ब् में परिवर्तन :

  • अप+ द- अब्द
  • अप+ ज – अब्ज

नियम 2 :

यदि किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मिलन न या म वर्ण ( ङ,ञ ज, ण, न, म) के साथ हो तो क् का ङ्च् का ज्ट् का ण्त् का न्, तथा प् का म् में परिवर्तन हो जाता है।

उदाहरण :

क् का ङ् में परिवर्तन :

  • वाक् + मय  : वाङ्मय
  • प्राक् + मुख : प्राङ्मुख

ट् का ण् में परिवर्तन :

  • षट् + मुख : षण्मुख
  • षट् + मास : षण्मास

त् का न् में परिवर्तन :

  • उत् + नति :  उन्नति
  • जगत् + नाथ : जगन्नाथ

नियम 3:

जब त् का मिलन ग, घ, द, ध, ब, भ, य, र, व से और किसी स्वर से हो तो द् बन जाता है।

म के साथ-साथ क से म तक के किसी भी वर्ण के मिलन पर ‘ म ‘ की जगह पर मिलन वाले वर्ण का अंतिम नासिक वर्ण बन जायेगा। 

उदाहरण :

म् का (क ख ग घ ङ) के साथ मिलन :

  • सम् + ख्या : संख्या
  • सम् + गम : संगम
  • सम् + कल्प : संकल्प/सटड्ढन्ल्प
  • शम् + कर : शंकर

म् का (च, छ, ज, झ, ञ) के साथ मिलन :

  • सम् + चय : संचय
  • किम् + चित् : किंचित

म् का (ट, ठ, ड, ढ, ण) के साथ मिलन :

  • दम् + ड : दंड
  • खम् + ड : खंड

म् का (त, थ, द, ध, न) के साथ मिलन :

  • सम् + तोष : सन्तोष
  • किम् + नर : किन्नर

म् का (प, फ, ब, भ, म) के साथ मिलन :

  • सम् + पूर्ण = सम्पूर्ण/संपूर्ण
  • सम् + भव = सम्भव/संभव

त् का (ग , घ , ध , द , ब , भ ,य , र , व्) :

  • जगत् + ईश : जगदीश
  • सत् + भावना = सद्भावना

नियम 4 :

यदि त् से परे च् या छ् होने पर ज् या झ् होने पर ज्ट् या ठ् होने पर ट्ड् या ढ् होने पर ड् और  होने पर ल् बन जाता है।

यदि म् के साथ (य, र, ल, व, श, ष, स, ह) में से किसी भी वर्ण का मिलन होने पर ‘म्’ की जगह पर अनुस्वार ही लगता है।

उदाहरण :

  • तत् + टीका : तट्टीका
  • सम् + शय : संशय

नियम 5 :

जब त् का मिलने पर अगर श् से हो तो त् को च् और श् को छ् में बदल दिया जाता है। जब त् या द् के साथ  या  का मिलन होता है तो त् या द् की जगह पर च् बन जाता है।

उदाहरण :

  • उत् + चारण : उच्चारण
  • उत् + शिष्ट : उच्छिष्ट
  • शरत् + चन्द्र : शरच्चन्द्र

नियम 6 :

जब त् का मिलने पर ह् से हो तो त् को द् और ह् को ध् में बदल दिया जाता है। त् या द् के साथ  या  का मिलन होता है तब त् या द् की जगह पर ज् बन जाता है।

उदाहरण :

  • तत् + हित : तद्धित
  • सत् + जन : सज्जन
  • उत् + हार : उद्धार
  • जगत् + जीवन : जगज्जीवन

नियम 7:

यदि स्वर के बाद अगर छ् वर्ण आ जाए तो छ् से पहले च् वर्ण बढ़ा दिया जाता है।

यदि त् या द् के साथ ट या ठ का मिलन होने पर त् या द् की जगह पर ट् बन जाता है।

जब त् या द् के साथ ‘ड’ या ढ की मिलन होने पर त् या द् की जगह पर‘ड्’बन जाता है।

उदाहरण :

  • संधि + छेद : संधिच्छेद
  • तत् + टीका : तट्टीका
  • स्व + छंद : स्वच्छंद

नियम 8 :

यदि म् के बाद क् से लेकर म् तक कोई व्यंजन हो तो म् अनुस्वार में बदल जाता है।

जब त् या द् के साथ ल का मिलन होता है तब त् या द् की जगह पर ‘ल्’ बन जाता है।

उदाहरण :

  • किम् + चित = किंचित
  • उत् + लास = उल्लास
  • किम् + कर = किंक

नियम 9 :

यदि म के बाद य, र, ल, व, श, ष, स, ह में से कोई एक व्यंजन हो तो म् अनुस्वार में बदल जाता है।

उदाहरण :

  • सम् + शय : संशय
  • सम् + योग : संयोग
  • सम् + हार : संहार

नियम 10 :

जब ऋरू या थ्रू के बाद न तथा इनके बीच में चाहे स्वर, क वर्ग, प वर्ग , अनुश्वार , य व या ह आये तो न् का ण हो जाता है।

उदाहरण :

  • प्र + मान : प्रमाण
  • राम + अयन : रामायण

नियम 11 :

जब किसी शब्द का पहला वर्ण स हो तथा उसके पहले अ या आ के अलावा कोई दूसरा स्वर आये तो स के स्थान पर ष हो जाता है।

उदाहरण :

  • अनु + सरण : अनुसरण
  • वि + सर्ग : विसर्ग

नियम 12 :

जब यौगिक शब्दों के अंत में यदि प्रथम शब्द का अंतिम वर्ण न हो, तो उसका लोप हो जाता है।

उदाहरण :

  • प्राणिन + मात्र : प्राणिमात्र
  • राजन + आज्ञा : राजाज्ञा

नियम 13  :

यदि ष के बाद त या थ रहे तो त के बदले ट और थ के बदले ठ हो जाता है।

उदाहरण :

  • शिष् + त : शिष्ट
  • पृष् + थ : पृष्ठ