जब शब्द में विसर्ग के बाद च या छ हो तो विसर्ग श हो जाता है। ट या ठ हो तो ष तथा त् या थ हो तो स् हो जाता है।
उदाहरण :
जब संधि करते समय विसर्ग के बाद श, ष या स आये तो विसर्ग अपने मूल रूप में बना रहता है या उसके स्थान पर बाद का वर्ण हो जाता है।
उदाहरण :
यदि संधि के दौरान विसर्ग के बाद क, ख या प, फ हों तो विसर्ग में कोई विकार नहीं होता।
उदाहरण :
यदि संधि के दौरान विसर्ग से पहले ‘अ’ हो और बाद में घोष व्यंजन या ह हो तो विसर्ग ओ में बदल जाता है।
उदाहरण :
यदि संधि करते समय विसर्ग से पहले अ या आ को छोड़कर कोई अन्य स्वर हो तथा बाद में कोई घोष वर्ण हो तो विसर्ग के स्थान र आ जाता है।
उदाहरण :
जब संधि करते समय विसर्ग के बाद त, श या स हो तो विसर्ग के बदले श या स् हो जाता है।
उदाहरण :
यदि संधि के समय विसर्ग से पहले अ या आ हो तथा उसके बाद कोई विभिन्न स्वर हो, तो विसर्ग का लोप हो जाता है और पास-पास आये हुए स्वरों की संधि नहीं होती।
उदाहरण :
अंत्य के बदले भी विसर्ग होता है। जब के आगे अघोष वर्ण आवे तो विसर्ग का कोई विकार नहीं होता एवं अगर उनके आगे घोष वर्ण आ जाता है तो र ज्यों का त्यों रहता है
उदाहरण :